Attendees: Vishal Riddhi, Ruchi, Kunal, Anupama, Pradeep
Summary Prepared by:
Chapter No:Chapter 2 page 47
Sutra No:सूत्र no 32, 33, 34 , 35,37
Recorded lecture: http://library.jain.org/1.Pravachan/shrish/TatvarthSutraClass/
Summary: <
जीव का जन्म ३ प्रकार का होता है
समूर्शन जन्म - सर्व जगत में बिना माता पिता के सम्बन्ध के वातावरण से अपने शरीर के लायक सामग्री एकत्र के उत्पन्न होने वाले जीवों का समूर्शन जन्म कहलाता है १ इंद्रिय से लेकर असंगी ५ इंद्रिय तक के जीवो को होता है त्रियंच मैं होता है
गर्भ जन्म - माता के उदर में रज-वीर्य के संयोग से जो शरीर के रचना होती है वह गर्भ जन्म कहलाता है मनुष्यों और संगी 5 इंद्रिय जीवो का होता है
उपपाद जन्म - किसे जगह विशेष में अन्तर मूर्त में पूर्ण शरीर बना लेते है इस प्रकार का जन्म उपपाद जन्म कहलाता है नरकी और देवो में होता है
ये जीव का जन्म कोन सी जगह पर होता है जीव के जन्म होने के स्थान को योनी कहते है
सचित - चेतना युक्त स्थान उदहारण - गर्भ जन्म, समूर्शन जन्म
अचित - अचेतना युक्त स्थान उदहारण - देव, नरकी , समूर्शन जन्म
सचिताअचित - चेतना और अचेतना युक्त स्थान उदहारण - समूर्शन जन्म
शीत - ठंडी स्थान मैं उत्पन्न होने वाले जीव उदहारण- गर्भ जन्म, समूर्शन जन्म
उश्र्ण- गरम स्थान मैं उत्पन्न होने वाले जीव उदहारण- गर्भ जन्म, समूर्शन जन्म
शीतोउश्र्ण- दोनों के मिश्र स्थान मैं उत्पन्न होने वाले जीव उदहारण- गर्भ जन्म, समूर्शन जन्म
संवृत- उत्पन्न होने वाले जीव का स्थान ढका हुआ हो - उदहारण- मनुष्य, मुर्गी
विवृत - उत्पन्न होने वाले जीव का स्थान खुला हुआ हो - उदहारण- शेर , गाय , हिरन
संवृतविवृत - उत्पन्न होने वाले जीव का स्थान ढका हुआ हो - उदहारण- समूर्शन जन्म
गर्भ जन्म के ३ भेद है
जरायुज- जन्म के समय जीव के शरीर पर रुधिर और मॉस की झल्ली होती है - उदहारण- मनुष्य, बेल
जन्द्ज- जन्म के समय जीव का शरीर एक अंडे में बंद होता है उदहारण- कबुतुर , मुर्गी
पोतज - जन्म होने के कुछ क्षण बाद ही जीव चलने फिरने लगता है उदहारण- शेर , गाय , हिरन
शरीर ५ प्रकार का होता है
औदोयिक - स्थूल या कुछ अपेक्षा से दिखाई देने वाले शरीर को औदोयिक शरीर कहते है जेसे मानुष के शरीर, त्रियंच का शरीर होता है
वक्र्यिक - जो एक अनेक , हल्का भारी , सूक्ष्म स्थूल और किसी प्रकार का बनाया जा सके उसे वक्र्यिक शरीर कहते है जेसे मुनि, देव, चक्रवर्ती को प्राप्त हो सकता है
आहारक - विक्रिया रिधि से रचित शरीर , सफ़ेद , जो एक हाथ बराबर होता है जेसे मुनि, देव, चक्रवर्ती को प्राप्त हो सकता है
तेजस - औदोयिक शरीर को काँटी देने वाले शरीर को तेजस शरीर कहते है जो सभी जीवो के होता है
कर्मान - कर्मों से समूह से बने शरीर को कर्मान शरीर कहते है जो सभी जीवो के होता है केवल सिद्ध भगवान् को नहीं होता है
- विग्रह गति में कर्मान और तेजस शरीर होते है
शरीर के possible combination:
औदोयिक कर्मान तेजस - मनुष्य, त्रियंच को होता है
औदोयिककर्मान तेजस - देव , नरकी को होता है
वक्र्यिक आहारक कर्मान तेजस - ६ गुण स्थान या उससे उचे गुण स्थान वाले मुनिराज , देव को ही होता है
सिद्ध भगवान् के कोई शरीर नहीं होता
औदोयिक से आगे के शरीर सूक्ष्म होता जाता है जेसे
औदोयिक से ---> असंख्यात गुने सूक्ष्म वक्र्यिक शरीर ----> असंख्यात गुने सूक्ष्म औदोयिक ---> अनंत गुने सूक्ष्म तेजस ----> अनंत गुने सूक्ष्म कर्मान शरीर होता है
परमाणु की अपेक्षा से यह क्रम उल्टा है
औदोयिक से ---> असंख्यात गुने जयादा परमाणु वक्र्यिक शरीर ----> असंख्यात गुने जयादा परमाणु औदोयिक ---> अनंत गुने जयादा परमाणु तेजस ----> अनंत गुने जयादा परमाणु कर्मान शरीर होता है
कर्मान शरीर मैं सबसे जयादा परमाणु है
जेसे - सामान परमाणु का रुई का पिंड बहुत जायदा होगा और सामान परमाणु का लोहे का पिंड बहुत छोटा होगा >
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