Monday, June 8, 2009

Chapter 2, Sutra 1-7

Date of Swadhyaya: 06/06/09
Attendees:
Summary prepared by: Vishal Mehta  
Chapter No: 2
Sutra No: 1-7
Recorded lecture:
Summary:


पांच भाव

टेबल १: पांच भाव

 

ग्यान

दर्शन

श्रद्धा

चारित्र

द्रष्टांत

औपशमिक

-

-

औपशमिक सम्यकदर्शन

उपशांतमोह

अशुद्धि होते हुए शुद्ध सोना

शायिक

केवलग्यान

केवल्दर्शन

शायिक सम्यकदर्शन

शायिक चारित्र

शुद्ध सोना

क्शायोपशमिक

मतिग्यान, कुमतिग्यन, श्रुतग्यान, श्रुतग्यान, अवधिग्यान, विभंगग्यान, मनःपर्याय

चक्शुदर्शन, अचक्शुदर्शन, अवधिदर्शन

क्शायोपशमिक सम्यकदर्शन

सराग चरित्र और संयमासंयम

पीलापना

औदेयिक

अग्यान

अदर्शन

मिथ्यादर्शन

असंयम

सफ़ेदा

पारिनामिक

ग्यानपना

दर्शनत्व

श्रद्धानत्व

चारित्रत्व

स्वर्णीय

 

पांच भाव जीव के विशेष है

·         औपशमिक के २ भेद है

·         शायिक के ९ भेद है

·         क्शायोपशमिक के १८ भेद है

·         औदेयिक के २१ भेद है

·         पारिणामिक के ३ भेद है

पारिणामिक भाव बाकी के चार भाव जीव के साथ हंमेशा रहते है

कर्मरुप पुदगल मे कषाय नही है! जीव मे कषाय नही है! परंतु दोनो के मिलने पर कषाय पाइ जाती है!

 

टेबल २: गुनस्थान की अपेक्शा

 

ग्यान

दर्शन

श्रद्धा

चारित्र

कुल

औपशमिक

-

-

४ से ११

११

शायिक

१३, १४ और सिद्ध

१३, १४ और सिद्ध

४ से १४ और सिद्ध

१२ से १४ और सिद्ध

क्शायोपशमिक

१ से १२

१ से १२

५, ६, और ७अ

५ से १०

१३

औदेयिक

१ से १२

१ से १२

१ से ३

१ से ४

पारिनामिक

१ से १४ और सिद्ध

१ से १४ और सिद्ध

१ से १४ और सिद्ध

१ से १४ और सिद्ध

 

औपशमिक = २ (टेबल २ से)

शायिक = ४ (टेबल २ से) + ५ दानादि = ९

क्शायोपशमिक = १३ (टेबल २ से) + ५ दानादि = १८

औदेयिक = ४ (टेबल २ से) – १ (अदर्शन) + ४ (गति) + ४ (कषाय) + ३ (लिंग) + १ (असिद्धत्व) + ६ (लेश्या) = २१

पारिणामिक = १ (जीवत्व, टेबल २ से) + भवितव्यत्व + अभवितव्यत्व = ३

 

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